नशा मुक्ति: समाज, युवा और देश के उज्ज्वल भविष्य की ओर

Admin | 11/22/2025 08:54 am | Health & Awareness

post-images

नशा एक अत्यंत घातक और बहु-आयामी सामाजिक बुराई है। यह केवल एक व्यक्ति की आदत भर नहीं, बल्कि ऐसा विनाशकारी रोग है जो अनमोल मानव जीवन को समय से पहले मृत्यु के मुहाने पर ला खड़ा करता है। हमारे समाज में नशे के रूप में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू, धूम्रपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) के साथ-साथ चरस, स्मैक, कोकीन, ब्राउन शुगर जैसी घातक मादक दवाएँ और पदार्थ खुलेआम प्रयोग में लाए जा रहे हैं। इन जहरीले नशीले पदार्थों का सेवन न केवल व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आर्थिक स्वास्थ्य को जर्जर कर देता है, बल्कि पूरे सामाजिक वातावरण को भी प्रदूषित और अस्थिर बना देता है।

अक्सर देखा जाता है कि बीड़ी, सिगरेट, गांजा, भांग या अफीम जैसे पदार्थों से शुरुआत करने वाले लोग, जब इनसे अपेक्षित नशा नहीं मिल पाता, तो धीरे-धीरे शराब, हेरोइन और अन्य प्रबल मादक द्रव्यों की ओर बढ़ने लगते हैं। नशा किसी भी रूप में हो, अंततः यह व्यक्तित्व का पतन, निर्धनता की बढ़ोतरी और अकाल मृत्यु के द्वार खोल देता है। आज स्थिति यह है कि नशे की वजह से असंख्य परिवार बिखर रहे हैं, रिश्तों में दरारें आ रही हैं, और जीवन मूल्यों का ह्रास हो रहा है। वर्तमान युवा पीढ़ी केवल शराब और हेरोइन जैसे मादक पदार्थों का शिकार ही नहीं, बल्कि कुछ दवाओं का भी दुरुपयोग नशे के रूप में कर रही है। यह प्रवृत्ति मानो एक आसुरी शक्ति की भाँति समाज को भीतर-ही-भीतर खोखला कर रही है, जिसे रोकना अत्यंत आवश्यक और तात्कालिक कर्तव्य है।


नशा मुक्त समाज की दिशा में डेरा सच्चा सौदा ने एक व्यापक, सशक्त और जन-जागरण पर आधारित अभियान छेड़ा हुआ है। राम रहीम देश के कोने-कोने में सत्संग के माध्यम से लोगों को जागृत कर रहे हैं, उन्हें नशे के दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए, जीवन को संवरने का आध्यात्मिक मार्ग दिखा रहे हैं।

हम सभी भली-भाँति जानते हैं कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए घातक है। तम्बाकू उत्पादों पर ‘धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है’ और ‘तम्बाकू से कैंसर होता है’ जैसी चेतावनियाँ स्पष्ट रूप से अंकित होती हैं, और अधिकांश लोगों को इसका ज्ञान भी है। फिर भी लोग बड़े चाव से इसका सेवन करते हैं। यह मनुष्य की मानसिक दुर्बलता ही है कि वह शुरुआत में ‘थोड़ा-थोड़ा’ करके प्रयोग करता है, और देखते ही देखते इसकी लत का कैदी बन जाता है। जब लत हावी हो जाती है तो फिर व्यक्ति स्वयं नशा नहीं करता, बल्कि नशा ही उसे करवाता है—यानी तलब उसकी स्वतंत्र इच्छा पर हावी हो जाती है।

वास्तव में शराब या अन्य मादक पदार्थ जीवन की कोई आवश्यक आवश्यकता नहीं हैं। किसी भी धर्म-ग्रंथ, किसी भी सच्ची आध्यात्मिक परंपरा ने इनके सेवन का समर्थन नहीं किया है। नशा मुक्ति केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक जनांदोलन है—जिसका मूल उद्देश्य है लोगों को नशे की बेड़ियों से मुक्त कर, उन्हें स्वस्थ, संतुलित और सम्मानजनक जीवन की ओर अग्रसर करना। नशा व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक जीवन को भीतर से खोखला कर देता है। यह मुंह के कैंसर, लीवर फेल होने, फेफड़ों और हृदय से संबंधित घातक बीमारियों सहित तमाम गंभीर स्वास्थ्य संकटों को जन्म देता है।

नशा मुक्ति आज समाज के लिए एक अत्यंत गंभीर और अनिवार्य चुनौती बन चुकी है। यह केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को ही नहीं, बल्कि उसके पारिवारिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन को भी गहरे स्तर पर प्रभावित करती है। नशे की लत व्यक्ति को मानसिक रूप से इतना कमजोर बना देती है कि वह समाज से कटने लगता है, आत्मविश्वास खो देता है और धीरे-धीरे अकेलेपन, अवसाद और आत्मविनाश की ओर बढ़ने लगता है।


राम रहीम लोगों को राम-नाम से जोड़कर, उनके भीतर ऐसी आध्यात्मिक शक्ति और आंतरिक दृढ़ता जागृत कर रहे हैं कि वे नशे जैसी भयंकर बुराई को जड़ से त्याग सकें। राम-नाम के सुमिरन से मिलने वाली मानसिक शांति और आत्मबल, व्यक्ति को नशे की चंगुल से बाहर निकालने में अद्भुत सहायक सिद्ध हो रहा है।

इसके साथ ही, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों की सक्रिय भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। विद्यालयों, कॉलेजों, ग्राम सभाओं, मीडिया और सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से व्यापक जन-जागरूकता फैलाकर ही हम इस समस्या के खिलाफ एक सशक्त दीवार खड़ी कर सकते हैं। सामूहिक संकल्प, सकारात्मक माहौल और निरंतर मार्गदर्शन से नशे की जंजीरों को तोड़कर समाज में उल्लेखनीय परिवर्तन लाया जा सकता है। यह परिवर्तन न केवल व्यक्तिगत जीवन में खुशहाली लाएगा, बल्कि सामूहिक समृद्धि, सामाजिक सुरक्षा और राष्ट्रीय शक्ति को भी नई ऊँचाइयाँ प्रदान करेगा।

भारत जैसे विशाल और युवा देश में नशा एक विकराल चुनौती बनकर उभर रहा है। नशे की समस्या आज केवल सामाजिक या व्यक्तिगत नहीं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य संकट का रूप ले चुकी है, जो विशेष रूप से युवाओं को अपनी चपेट में ले रही है। मानसिक तनाव, पारिवारिक कलह, बेरोजगारी, बुरी संगत, सामाजिक दबाव और आधुनिक जीवन की भागदौड़—ये सभी नशे की ओर धकेलने वाले प्रमुख कारण हैं। युवा वर्ग अक्सर ‘मौज-मस्ती’ और ‘एडवेंचर’ के नाम पर शुरुआत करता है, परंतु धीरे-धीरे यही शौक विनाश की राह बन जाता है। कई बार लोग अपनी समस्याओं से भागने या अस्थायी आनंद पाने के लिए भी नशे का सहारा ले लेते हैं, जो अंततः गहरे गड्ढे में धकेल देता है।

एक नशा मुक्त समाज वास्तव में स्वस्थ, सशक्त, संवेदनशील और प्रगतिशील समाज होता है। जब व्यक्ति नशे से दूर रहता है, तो उसकी ऊर्जा, समय और क्षमता रचनात्मक कार्यों में लगती है। परिवारों में प्रेम, विश्वास और समझ बढ़ती है, समाज में सहयोग और सद्भावना का विस्तार होता है, और देश के विकास को नया वेग मिलता है।

राम रहीम अक्सर कहते हैं कि यदि समाज नशा मुक्त हो जाए तो देश में खुशहाली की नई सुबह जन्म लेगी। नई पीढ़ी स्वच्छ चिंतन, उच्च चरित्र और मजबूत संकल्प के साथ आगे बढ़ेगी और एक नए, उज्ज्वल, नैतिक और समृद्ध भारत का निर्माण होगा। नशा छोड़ना मात्र आदत बदलना नहीं, बल्कि जीवन की दिशा बदलना है—अंधकार से प्रकाश की ओर, कमजोरी से शक्ति की ओर, पतन से उत्कर्ष की ओर कदम बढ़ाना है। यही एक सच में ‘नशा मुक्त’ और ‘उज्ज्वल भविष्य’ वाले समाज की ओर हमारी सामूहिक यात्रा है।

Comment

    Not Found!!

    Sorry! No comment found for this post.

Need to login for comment!